एक अकेली औरत के आँसू
ओह, वह दुःख जो उसके दिल को जकड़ लेता है
जैसे वह अपने घर में अकेली रोती है, अलग
उस दुनिया से जिसने कभी इतना आनंद उठाया था
अब रात के अँधेरे में खो गया हूँ
उसकी आँखें, आकाश में तारों की तरह
चमकदार चमक रहा है, लेकिन ओह इतना ऊँचा
उसके आँसू, ज़मीन पर बारिश की तरह
करुण ध्वनि के साथ जोर से गिरना
उसका दिल पिंजरे में बंद पंछी की तरह है
आज़ादी की चाहत, लेकिन एक प्याले में
दुख और पीड़ा का, यह सिमटा हुआ है
कोई पलायन नहीं, कोई राहत नहीं मिल रही
उसकी आत्मा, समुद्र पर एक जहाज की तरह
लहरों से उछाला गया, हवा और स्प्रे से पस्त
एक सुरक्षित बंदरगाह, रहने की जगह की तलाश में
लेकिन तूफ़ान जारी है, जिसका कोई अंत नज़र नहीं आ रहा
उसकी जिंदगी, एक किताब की तरह, जिसके पन्ने फटे हुए हैं
अध्याय बंद हो गए, पुनर्जन्म कभी नहीं होगा
यादें, एक सताती हुई याद की तरह
गूँजती पीड़ा, कभी प्राप्त न होने वाली
ओह, अकेली औरत, अकेली रो रही है
उसका दुःख, एक भारी पत्थर की तरह
बिना किसी राहत के, उसे दबा दिया गया
इस दुनिया में, जहां प्यार एक सपना है।
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