एकांत के आलिंगन में, वह अनुग्रह से रोती है,
उसके चेहरे से आँसू बह रहे थे, एक दुखद दृश्य।
उसका दिल, जो कभी खुशी से भरा था, अब विस्थापित महसूस करता है,
आज रात उसकी आत्मा पर एक भारी बोझ आ गया है।
उसकी हँसी, जो अब शांत है, एक बार उज्ज्वल गूँजती थी,
इसकी रोशनी सुनने वाले सभी लोगों के लिए गर्माहट लाना।
लेकिन अब, छाया में, वह अकेले रोती है,
उसकी आत्मा, जो कभी इतनी स्वतंत्र थी, अब अज्ञात महसूस करती है।
बाहर की दुनिया, धुँधली, दूर की गुनगुनाहट,
जैसे वह भीतर ही भीतर दुःख के ढोल में खोई हुई है।
आँसू उसकी आँखों से बारिश की तरह गिरते हैं,
उस दर्द का प्रतिबिंब जिसे वह छिपाती है।
उसका हृदय, एक बगीचा, जो कभी खिलता था,
अब जीवन की निराशा के बोझ से दबकर मुरझा रहा है।
उसकी मुस्कुराहट, सूरज की किरण, अब सिर्फ एक भौहें,
चारों तरफ रोती-बिलखती एक दुखी महिला।
लेकिन उसके आंसुओं में भी एक झलक चमकती है,
आशा की एक चिंगारी, एक रोशनी जिसे पाना कठिन है।
हालाँकि उसका दिल भारी और थका हुआ हो सकता है,
वह जानती है कि कल एक नई सुबह की चाहत होगी।
और इसलिए वह रोती है, और अपने दिल को आज़ाद होने देती है,
क्योंकि उसके आँसुओं में उसे एक मुक्ति, एक उल्लास मिलता है।
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