रात के साये के बीच
एक दुखी महिला उड़ान भरती है
उसका दिल, एक भारी बोझ सहता है
आंसू शरद ऋतु की बर्फ की तरह गिरते हैं
उसकी आँखें, एक बार उज्ज्वल और रोशनी से भरी हुई
अब धुँधला और नीरस, कोई आशा नज़र नहीं आती
उसकी मुस्कान, एक दूर की याद
उसकी हंसी, एक क्षणभंगुर सपना
हवा पेड़ों के बीच से फुसफुसाती है
एक अकेली धुन, एक मातमी हवा
इसमें उसके आँसू, उसकी आहें हैं
सुदूर देशों तक, जहां कोई झूठ नहीं बोलता
उसके दिन, कभी न ख़त्म होने वाला दुःख
उसकी रातें, एक बेचैन, परेशानी भरी राहत
वह प्यार, गर्मजोशी भरे आलिंगन की चाहत रखती है
लेकिन उसे केवल अंतहीन जगह ही मिलती है
ऊपर तारे, वे चमकते हैं
लेकिन उसे कोई सांत्वना, कोई खुशी मत दो
क्योंकि उनके प्रकाश में उसे कोई आशा नहीं दिखती
सिर्फ उसके दायरे का अंधेरा
बिस्तर पर लेस्बियन एक दूसरे को कोमल उंगलियों और जीभ से चोदती हैं
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