एक अश्रुपूरित आत्मा, अकेली बैठी है,
उसका दिल टुकड़ों में, उसकी आत्मा बुद्धि,
दुःख का भार, सीसे जितना भारी,
उसकी आँखें नदियों की तरह लाल होकर बह रही थीं।
उसकी आँखें, उसके दिल की खिड़कियों की तरह,
दर्द को प्रतिबिंबित करें, कला का एक काम,
आँसू हीरे की तरह गिरते हैं, शुद्ध और सच्चे,
जैसे वह उड़ते हुए प्यार के लिए रोती है।
उसके होंठ कभी हँसी और उल्लास से भरे थे,
अब सिसकियों से कांपें, एक दुःखद लहर,
उसकी साँसें, आह, दुःखभरा रंग,
जैसा कि वह सब सोचती है वह कभी नहीं करेगी।
उसके हाथ, जो पहले कोमल थे, अब क्रोध की मुट्ठियाँ,
उसके नाखून, पंजे की तरह, उसके पिंजरे का प्रतीक,
उसका मन, यादों और दर्द का एक चक्रव्यूह,
चूँकि वह आनंद की अभिलाषा करती है, फिर भी, व्यर्थ।
घड़ी टिक-टिक करती रहती है, एक निरंतर अनुस्मारक,
समय का, एक चोर, जो उसकी रोशनी चुरा लेता है,
परछाइयाँ नृत्य करती हैं, एक भयानक दृश्य,
जैसे वह रोती है, अकेली, रात में।
लेकिन फिर भी, वह आशा की एक किरण कायम रखती है,
एक मौका, एक सपना, एक दिल जो ढीला नहीं है,
उसके दुःख की गहराइयों में, एक चिंगारी,
ठीक होने का मौका, एक नया प्यार शुरू करने का।
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