उसके एकान्त निवास के सन्नाटे के बीच,
एक अकेली महिला अपने विचारों में उत्सव मनाती है,
उसके एकाकी हृदय की गूँज, भारी बोझ,
वह एक बोझ उठाती है, हर गुजरते दिन और रात के साथ।
उसके हाथ, जो कभी उद्देश्य से भरे थे, अब शांत पड़े हैं,
उनकी कृपा और सुंदरता, आलस्य में खो गई,
वह आग जो कभी तेज़ जलती थी, अब केवल टिमटिमाती है,
एक लौ जो लड़खड़ाती है, उसके अकेलेपन के अंधेरे में।
दीवारें, जो कभी हँसी और खुशी से भरी होती थीं,
अब रात की फुसफुसाहट से गूंजें,
परछाइयाँ नाचती हैं, हर चरमराहट और आह के साथ,
एक भुतहा घर, जहां खुशियों ने अपनी रोशनी खो दी है।
घड़ी टिक-टिक करती रहती है, एक स्थिर धड़कन के साथ,
उस समय की याद जो फिसल जाता है,
मिनट, घंटे और दिन, सब गर्मी में नष्ट हो गए,
एक समय पूर्ण, अब खाली और धूसर जीवन का।
लेकिन फिर भी, वह आशा, प्रकाश की एक किरण, पर कायम है
एक चिंगारी जो टिमटिमाती है, उसकी रात के अँधेरे में,
क्योंकि मौन में उसे एक शांत शक्ति मिलती है,
एक लचीलापन जो उसे आगे तक ले जाएगा।
और इसलिए वह धैर्य और अनुग्रह के साथ प्रतीक्षा करती है,
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कास्टिंग के दौरान, युवा गोरी ने डबल प्रवेश के लिए अपने पैर फैलाए
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