वैभव के बगीचों में, जहाँ फूल खिलते और लहलहाते हैं,
एक युवती गोरी और उज्ज्वल, नृत्य और खेल करती थी।
उसकी पोशाक, रंगों की टेपेस्ट्री, इतनी चमकीली चमक रही थी,
धूप के दिन और रोशनी में, सूरज की किरण की तरह।
उसके बाल, सुनहरे गेहूं की तरह, हवा के साथ उड़ रहे थे,
और उसकी आँखें, नीलमणि की तरह, खुशी से चमक उठीं।
वह शालीनता से आगे बढ़ी, उसके कदम संगीत के प्रवाह की तरह थे,
और उसकी हँसी, एक झरने की तरह, खुशी से उबल रही थी।
पोशाक, कला का एक नमूना, देखने लायक उत्कृष्ट कृति,
रत्नों और फीता से सुशोभित, नाजुक और मुक्त था।
यह सूरज में चमक रहा था, जैसे रात में तारे,
और लड़की, सौंदर्य की एक दृष्टि, एक सच्चा आनंद।
वह दिल में खुशी के साथ नाचती और घूमती रही,
उसकी पोशाक फड़फड़ा रही थी, जैसे कोई पक्षी उड़ान भर रहा हो।
और यद्यपि दुनिया क्रूर और ठंडी हो सकती है,
यह युवती मेला, अपनी सुंदरता में, निखर कर सामने आया।
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