ओह, इतनी आज़ाद दिल वाली महिला,
उसे अपनी कंपनी में ही सांत्वना मिलती है।
मौन में, वह अपना उल्लास पाती है,
और उसके विचारों में उसकी आत्मा हो सकती है।
वह हरे भरे खेतों में अकेली चलती है,
और हवा की मधुर चमक को सुनता है।
वह बादलों को आलस्य से बहते हुए देखती है,
और सूरज की गर्म, सुनहरी आह महसूस करता है।
अपने अकेलेपन में वह अपनी ताकत ढूंढती है,
और अपने अकेलेपन में वह अपनी लंबाई ढूंढती है।
वह अपने समय के हर पल का आनंद लेती है,
और उस शांति को संजोता है जो सर्वथा दिव्य है।
तो उसे रहने दो, उसे भटकने दो,
क्योंकि अपने एकांत में, वह अपनी गड़गड़ाहट खोज लेगी।
वह अपने भीतर गहराइयों की खोज करेगी,
और अपने अकेलेपन में, वह अपना धन खोज लेगी।
मेरे भाई को अपनी सौतेली बहन की बड़ी गांड बहुत पसंद थी
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