गोधूलि के सन्नाटे में, जब तारे चमकने लगते हैं,
एक महिला की आवाज़, संगीत की तरह, सपनों में भर देती है,
उसकी धुन, अनुग्रह की एक सिम्फनी,
नीरव आकाश में मधुर गूँज रही है।
उसका हृदय मधुरता से गाता है, आग से भरा हुआ,
उसकी आत्मा एक लौ है जो इच्छा को जलाती है,
हर स्वर में, एक जुनून का जन्म,
गीत के प्रति प्रेम जो धरती पर कभी ख़त्म नहीं होता।
उसकी आवाज, रोशनी का एक सुनहरा धागा,
रात के अँधेरे में बुनता हूँ,
छाया में एक प्रकाशस्तंभ, चमकता हुआ,
उन सभी का मार्गदर्शन करना जो उसकी दृष्टि को सुनते हैं।
हर सांस के साथ वह हवा भरती है,
मधुर मेल के साथ,
उसकी आवाज़, एक सौम्य, प्यार भरी हवा,
इससे हमें शांति और खुशी मिलती है।
तो आइए सुनें, आइए सुनें,
वे धुनें जो उसे प्रिय हैं,
उसके गीत में, हम अपना पाते हैं,
संगीत के प्रति प्रेम जो कभी ख़त्म नहीं हुआ।
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