गोधूलि के सन्नाटे में, जहाँ परछाइयाँ नृत्य करती हैं,
एक दुखी आत्मा अपना मौका लेती है,
जीवन को संजोना, भले ही इससे उसे दर्द मिले,
और यद्यपि वह खो गई है, प्रेम की रोशनी बनी हुई है।
उसका दिल, एक बगीचा जो कभी अनुग्रह से भरा था,
अब सूखी और बंजर है, फिर भी वह कोई निशान ढूंढ लेगी,
यादों में खुशी की, प्यार के कोमल आलिंगन की,
यह एक मुस्कुराहट लाता है, और आशा की धुंधली किरण की झलक लाता है।
उसकी आँखें, समुद्र की तरह, बहुत नीली और गहरी,
उस चोट को प्रतिबिंबित करें जिसे सहने के लिए उसे सहना पड़ा,
लेकिन उनकी गहराइयों में, रोशनी की एक किरण झलकती है,
आशा की एक किरण, एक अनदेखा वादा।
उसकी आत्मा, एक राग, मधुर और शुद्ध,
स्वतंत्र होने, उड़ने, अन्वेषण करने की इच्छा रखता है,
दुनिया, एक कैनवास, जहाँ उसके सपने चित्रित हैं,
चमकीले रंगों के साथ, बेदाग आशा के साथ।
हर सांस में एक पल नया जन्म लेता है,
प्यार करने, जीने, सुबह होने का मौका,
जिंदगी भले ही क्रूर हो, प्यार दयालु होगा,
और उसके हृदय में आशा की लौ जल उठेगी।
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