उदास लड़की, घर पर अकेली,
आंसू शरद ऋतु की बारिश की तरह गिरते हैं,
उसका दिल, एक भारी पत्थर,
उसे जंजीरों की तरह दबा देता है।
वह बैठी है, अपने विचारों में खोई हुई,
प्यार और हँसी की यादें,
अब लेकिन एक दूर का सपना,
फीका, भोर की आखिरी किरणों की तरह।
घड़ी टिक-टिक करती रहती है, अकेले,
जैसे ही वह रात का इंतज़ार करती है,
उसके आँसू, बारिश की तरह,
अंतहीन, समुद्र की गर्जना की तरह।
बाहर की दुनिया, धुंधली,
जैसे वह दर्द से छिपती है,
उसका दिल, एक नाजुक फूल,
रौंदा गया, बारिश की तरह.
लेकिन फिर भी, वह कायम है,
उस आशा के लिए जो शेष है,
कि एक दिन उसका दिल ठीक हो जाएगा,
और प्यार फिर आएगा.
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