उसके चेहरे पर आंसू गिर जाते हैं, दिल दर्द से भर जाता है
बाहर की दुनिया उज्ज्वल है, लेकिन उसकी दुनिया व्यर्थ है
वह अपने कमरे में अकेली बैठी है, अपने मन की कैद में
एकमात्र रोशनी उसके फोन की चमक है, जो डिजिटल प्रकार की है
उसकी आँखें रोने से लाल हो गई हैं, उसकी आवाज़ हल्की सी फुसफुसाहट है
उसके दुःख का बोझ, उसकी आत्मा पर बोझ
वह एक ऐसे कंधे की चाहत रखती है जिस पर वह झुक सके, एक ऐसे हाथ की जिसे कसकर पकड़ सके
लेकिन उसके घर का खालीपन, एक अंतहीन रात जैसा लगता है
घड़ी टिक-टिक करती जा रही है, मिनट खिंचते जा रहे हैं, घंटे धीमे होते जा रहे हैं
वह सोचती है कि क्या कल एक उज्जवल चमक लेकर आएगा
लेकिन फिलहाल, वह इस दुखद जगह में फंसी हुई है
एक उदास लड़की, अपने घर में अकेली, बचने का कोई रास्ता नहीं।
मुलतोचका अपने घुटनों पर एक आदमी को डिक चूसने की क्षमता देती है
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