सन्नाटे के घर में, एक लड़की इतनी गोरी,
अकेला और अकेला, वहां कोई नहीं।
उसकी आँखें इतनी चमकीली, उसका दिल इतना हल्का,
प्यार की चाहत, लेकिन नजर नहीं आ रहा।
वह खिड़की के पास बैठी बाहर की ओर देख रही है,
एक मित्र की कामना, बिना किसी संदेह के।
हवा उसके कान में रहस्य फुसफुसाती है,
एक परे की दुनिया की, बहुत भरी और प्यारी।
उसका मन भटकता है, विचारों में खो जाता है,
खोजे गए रोमांच के, लाए गए सपनों के।
लेकिन अभी के लिए, वह अंदर फंसी हुई है,
केवल उसका हृदय उसका मार्गदर्शक बनने के लिए है।
घड़ी टिक-टिक करती रहती है, घंटे धीरे-धीरे गुजरते हैं,
जैसे वह दिन बीतने का इंतजार कर रही हो।
सूरज डूबता है, तारे दिखाई देते हैं,
और वह जानती है कि कल निकट है।
कल, शायद, एक नया दिन,
खेलने का मौका, झूमने का मौका।
अभी के लिए, वह सपने देखेगी, वह कल्पना करेगी,
और सुबह के उजाले का इंतजार करें.
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