घर पर अकेली दुखी लड़की,
आँसू गिरते हैं, उसका दिल पत्थर सा लगता है।
वह अकेली बैठी है, उसका मन फटा हुआ है।
उसका जीवन एक कहानी है, पैदाइशी नहीं।
उसने जिसे प्यार किया था उसे खो दिया है,
उसका दिल भारी बादल है.
एक आंसू जो सूख जाता है, एक आह।
उसकी आत्मा एक राग है.
वह सूरज जो कभी चमकता था,
अब पीला चाँद है.
उसका दिल एक अकेला सिंहासन है.
उसका जीवन एक राग है.
हवा जो कभी चली थी,
अभी तो हवा का झोंका है.
उसका हृदय एक राग है.
वह एक उदास लड़की है,
अपने घर में अकेली.
तुकांत कविता इस बारे में होनी चाहिए: घर पर अकेली उदास लड़की।
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