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घर पर अकेली दुखी लड़की,
आँसू गिरते हैं, हृदय कराह उठता है।
वह अकेली बैठी है,
आत्मा रोती है, हाहाकार करती है।
उसके दिल की गहराइयों में,
दुःख का गहरा कुआँ,
आँसुओं का कुआँ,
अकेलेपन का कुआं.
वह शोक मनाती है,
उसका दिल डूब गया,
उदासी घेर लेती है,
उदासी का भारी आवरण.
उसकी आँखें रोती हैं,
उसका दिल रोता है,
आंसू आना,
आत्मा रोती है.
बाहर की दुनिया,
खुशियों की दुनिया,
आनंद की दुनिया,
प्यार की दुनिया.
लेकिन,
उसके दिल में,
दुःख का गहरा कुआँ,
आँसुओं का कुआँ,
अकेलेपन का कुआं.
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कृपया ध्यान दें कि कविता समाप्त नहीं हुई है और इसमें और सुधार किया जा सकता है।
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