गोधूलि के सन्नाटे में, जहाँ परछाइयाँ नाचती और खेलती हैं,
सुंदरता की एक दृष्टि, लाल रंग में एक महिला,
सुंदर कदमों से वह दिन भर सरकती रहती है,
उसकी पोशाक आग के धागे की तरह जल रही थी।
उसके बाल, सुनहरे रंग का झरना,
उसकी पीठ से बहती है, एक सच्ची नदी की तरह,
उसकी आँखें, नीलमणि के तालाब, गहरी और चौड़ी,
चमकते हुए, आकाश में तारों की तरह।
उसके होंठ, पूर्ण खिले हुए गुलाब,
सभी को अपने गुप्त कक्ष में आमंत्रित करते हुए,
उसकी त्वचा, चीनी मिट्टी की सुंदरता का एक कैनवास,
दीप्तिमान और चिकनी, जगह की पहली रोशनी की तरह।
उसकी मौजूदगी में बाकी सब फीका पड़ जाता है,
मानो जादू से दुनिया खेलना बंद कर देती है,
क्योंकि उसकी नज़रों में सभी दिलों को घर मिल जाता है,
और उसकी मुस्कान में, सारे डर ख़त्म हो जाते हैं।
तो आइए हम उसकी उज्ज्वल चमक का आनंद लें,
और उसकी हँसी को, हमारी आत्माओं को जानने दो,
लाल पोशाक वाली महिला में, हम पाते हैं,
सौंदर्य इतना दुर्लभ, प्रेम इतना दिव्य।
लाल मोज़ा में माँ को अपने दामाद के सामने कैंसर हो गया और उसने खुद को एक गहरी बिल्ली में दे दिया
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