घर पर अकेली दुखी लड़की,
आँसू गिरते हैं, वह अकेली महसूस करती है।
वह अकेली बैठ कर रोती है,
उसका दिल दुखता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
बारिश रोती है, हवा आह भरती है,
उसका दुःख, उसके आँसू, उसकी आहें।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
आकाश रोता है, पृथ्वी आहें भरती है,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
पेड़ रोते हैं, पक्षी आहें भरते हैं,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
सूरज रोता है, चाँद आहें भरता है,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
तारे रोते हैं, बादल आहें भरते हैं,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
हवा रोती है, लहरें आह भरती हैं,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
आग रोती है, पानी आह भरता है,
उसका हृदय रोता है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
वह अकेली है, उसका दिल रोता है,
उसकी आत्मा रोती है, उसकी आँखें ऊपर उठती हैं।
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