एकांत के साये में एक औरत रोती है
आँसू हीरे की तरह गिरते हैं, उसका दिल रखता है
अकेलापन बना रहता है, भारी नींद आती है
न प्यार, न आराम, न कोई रखने वाला
उसके विचार उसे निगल जाते हैं, उसके अंदर एक तूफ़ान आ जाता है
खुशियों की यादें, अब नकारी
बीते कल का पछतावा, बंटा हुआ दिल
साथ की चाहत में उसने गर्भधारण कर लिया है
लेकिन अफ़सोस, उसे तो बस ख़ालीपन ही दिखता है
एक शून्य जहां प्यार होना चाहिए, महज एक पोशाक
न कोई भरने वाला, न कोई आशीर्वाद देने वाला
उसकी दुःखी आत्मा, हृदय की व्यथा
बाहर की दुनिया, एक धुँधली धुंध
एक समय जो जीवन था, अब वह एक अचंभे में है
न खुशी, न हंसी, न आश्चर्यचकित करने का प्यार
बस एक अकेली कृपा की गूँज
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