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घर पर अकेली दुखी लड़की,
आँसू गिरते हैं, उसका हृदय पत्थर है।
वह रोती है, उसकी आंखें नम हैं,
उसका दिल भारी है, उसका दिमाग कर्जदार है।
वह बैठती है, उसका शरीर कमजोर है,
उसकी आत्मा कुचली हुई है, उसकी आत्मा चीख रही है।
वह रोती है, उसकी आवाज़ एक आह है,
उसका हृदय भारी है, उसका मन मक्खी है।
वह अकेली है, उसका दिल पत्थर है,
उसकी आत्मा एक रेगिस्तान है, उसका मन एक कराह है।
वह रोती है, उसकी आंखें नम हैं,
उसका हृदय भारी है, उसका मन कराह रहा है।
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