एक अकेली लड़की घर पर अकेली,
उसका हृदय भारी है, उसकी आत्मा उदास है।
वह अपने कमरे में रात से घिरी बैठी है,
उसके विचार अंधकारमय हैं, उसकी आत्मा नीची है।
वह दीवारों से परे जीवन का सपना देखती है,
रोमांच, रोमांच और कॉल का जीवन।
लेकिन फिलहाल, वह अपने घर में फंसी हुई है,
उसकी जिंदगी सूनी है, उसका दिल कराह रहा है।
वह बाहर की दुनिया की चाहत रखती है,
उत्साह, प्यार और गर्व की दुनिया।
लेकिन फिलहाल, वह अपने घर में फंसी हुई है,
उसका जीवन नीरस है, उसका हृदय कराह रहा है।
वह आज़ादी का जीवन चाहती है,
उत्साह, प्यार और गर्व का जीवन।
लेकिन फिलहाल, वह अपने घर में फंसी हुई है,
उसकी जिंदगी सूनी है, उसका दिल कराह रहा है।
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कृपया ध्यान दें कि कविता ख़त्म नहीं हुई है, इस पर कार्य प्रगति पर है।
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