घर पर अकेली दुखी लड़की,
आँसू गिरते हैं, वह अकेली महसूस करती है।
वह अपनी आँखें पोंछती है,
और रोता है, ओह बहुत दुखद,
उसका दिल दुखता है,
उसकी आत्मा कुचली गयी है.
वह अकेला महसूस करती है,
कोई पकड़ने वाला नहीं.
वह रोती है,
उसका दिल बैठ जाता है.
वह प्यार की चाहत रखती है,
उसका जीवन,
उसके सपने,
उसकी आशा,
उसके आंसू.
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तुकांत कविता इस बारे में होनी चाहिए: घर पर अकेली उदास लड़की
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