गोधूलि के सन्नाटे में, जहाँ परछाइयाँ नाचती और खेलती हैं,
सुन्दरता की दृष्टि एक बार हिल गई,
उसकी आँखें, सितारों की तरह, उज्ज्वल और स्पष्ट चमक रही थीं,
उसकी मुस्कान, सूरज की किरण, ने डर को दूर कर दिया।
लेकिन अब, अफ़सोस! उसका दिल दुखता है,
उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं, और दुःख भाग जाता है,
उसकी सुंदरता, सर्दी की ठंड में गुलाब की तरह,
मुरझा जायेगा, और उसकी ख़ुशी फीकी पड़ जायेगी, और फिर भी।
उसके होंठ, जो कभी माणिक जैसे लाल थे, अब पीले पड़ गए हैं,
उसकी त्वचा, जो कभी रेशम की तरह चिकनी थी, अब विलाप करती है,
उसके बाल, जो कभी सूरज की तरह सुनहरे थे, अब झड़ने लगे हैं,
उसकी कृपा, जो कभी राजसी थी, अब आपस में जुड़ती है।
ओह, क्रूर भाग्य! तू इस प्रकार कष्ट क्यों देता है,
यह सुंदरता, अनुग्रह से पैदा हुई, और शुद्ध, और नम्र?
कौन सा जादू उसकी आत्मा को पीड़ा में बांधता है?
तेरी छाया कैसा अन्धियारा डालती है, और वह कब आज़ाद होगी?
श्यामला अपने विवाहित पड़ोसी को बड़े दूध पिलाते हुए बाथरूम में चमकती है और लिंग को चूसती है
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