ओह, वह जो आँसू रोती है, शरद ऋतु की बारिश की तरह,
जैसे ही वह अकेली बैठती है, उसका दिल दुखता है।
उसकी आँखें, सर्दी की रात में तारों की तरह,
उज्ज्वल चमक रहा है, लेकिन प्रकाश बहुत मंद है।
उसका दुःख, एक भारी बोझ की तरह,
उसका वजन कम हो जाता है, और वह खुश नहीं हो पाती।
उसका दिल, फूल की तरह, एक बार इतना गोरा,
अब वह सूख गया है, और उसकी आशा भटक गई है।
उसकी आँखें, उसकी आत्मा की खिड़कियों की तरह,
उसके दुख की भूमिका की गहराई को उजागर करें।
उसके आँसू, नदी के कोमल प्रवाह की तरह,
उस दर्द को प्रतिध्वनित करें जिसे वह जानती है।
ओह, अकेली औरत, अकेले रो रही है,
उसका दिल, एक पक्षी की तरह, अब बिल्कुल अकेला है।
उसके आँसू, पेड़ों से गिरते पत्तों की तरह,
क्या उसे शांति मिलती है, और उसकी बीमारी कम हो जाती है।
सुनहरे बालों वाली माँ एक किराए के अपार्टमेंट में एक व्यवसायी का पत्थर चूसती है
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