उदास लड़की, घर पर अकेली,
आंसू शरद ऋतु की बारिश की तरह गिरते हैं,
उसका दिल, एक भारी पत्थर,
उसे जंजीर की तरह तौलता है।
बाहर की दुनिया, धुंधली,
वह अपने ही मन में खोई हुई है,
यादें, एक दर्दनाक कोरस,
सताता हुआ, एक तरह का।
उसकी आँखें, जो कभी चमकीली और निर्भीक थीं,
अब रात की तरह नीरस,
उसकी मुस्कान, एक दूर की याद,
जमे हुए, रोशनी की तरह.
हवा, धीमी गति से फुसफुसाती है,
"तुम्हें इतना कष्ट क्यों होता है?"
लेकिन लड़की, वह नहीं जान सकती,
हवा क्या नहीं दिखा सकती.
घड़ी टिक-टिक कर रही है, धीमी है,
मिनट, वे खींचते हैं और चले जाते हैं,
लड़की, वह समय में खो गई है,
उसकी कविता का एक कैदी.
बाहर की दुनिया, यह क्रूर है,
यह लेता है, यह कभी नहीं देता,
लड़की, वह अपने ही दिल में खोई हुई है,
एक उदास लड़की, अकेली, वह रहती है।
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