एकांत के आलिंगन में उसे अपना घर मिल जाता है,
एक ऐसी जगह जहां विचार और सपने घूमने के लिए स्वतंत्र हैं।
बाहर की दुनिया शोरगुल वाली और जंगली हो सकती है,
लेकिन यहां, उसे अपनी शांति, अपना दिल और दिमाग मिलता है।
मौन उसका अभयारण्य है, एक स्थान है
जहां वह अपनी कल्पना को दौड़ने दे सकती है।
वह संघर्षों से मुक्त होकर, हर पल का आनंद लेती है,
और अपने अकेलेपन में वह अपना जीवन ढूंढ लेती है।
दुनिया उसे एक अकेली आत्मा के रूप में देख सकती है,
लेकिन वह जानती है कि यह पूरी कहानी नहीं है।
वह अपनी ही कंपनी में संतुष्ट है,
और साधारण चीजों में आनंद पाता है, जैसे किताब या महिमा।
तो उसे रहने दो, उसे अपने आप में आनंद लेने दो,
क्योंकि अपने एकांत में वह अकेली नहीं है।
उसे अपना आश्रय, अपनी शांति का स्थान मिल गया है,
और वहां, वह रहेगी, और मुक्ति पायेगी।
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