गोधूलि के सन्नाटे में, जहाँ परछाइयाँ नाचती और खेलती हैं,
एक युवती मेला, निराशा से भरे दिल के साथ,
उसकी आँखें, दुःख के तालाबों की तरह, गहरी और चौड़ी,
उस दर्द को प्रतिबिंबित करें जो उसके दिल में छिपा है।
उसके होंठ, जो कभी मुस्कुराहट और उल्लास से चमकते थे,
अब हर सांस के साथ कांपें, मानो भाग रहे हों,
उसकी त्वचा, जो कभी सफेद खड़िया जैसी चिकनी थी,
अब उसकी दुर्दशा का दुःख प्रकट करो।
उसके बाल, एक समय सुनहरी धारा की तरह बह रहे थे,
अब वह लंगड़ा कर लटक रहा है, मानो शोक के सपने में,
उसका रूप, जो कभी पत्थर के खम्भे जैसा सीधा और मजबूत था,
अब दुःख से झुकना है, मानो अकेला हो।
उसकी आवाज़, जो कभी गीतकार की धुन जैसी मधुर थी,
अब हर शब्द से कांपता है, मानो आज़ाद हो रहा हो,
उसके पैर, जो कभी गर्मियों की हवा में हिरणी की तरह तेज़ थे,
अब धीमी गति से आगे बढ़ें, मानो भारी समुद्र में हों।
उसका हृदय, एक समय आशा और शुद्ध प्रसन्नता से भरा हुआ था,
अब रात भर दुःख से तड़पता रहेगा,
उसकी आत्मा, जो कभी आनंद और प्रेम के सपनों से उज्ज्वल थी,
अब आँसुओं से रोओगे, ऊपर से भेजा गया।
नीग्रो ने एक लाल बालों वाली लड़की को एक मुद्रा में झुकाया और उसे अपने दुलार से संभोग सुख तक पहुंचाया
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