घर पर अकेली अकेली लड़की
वह खामोशी के घर में रहती है,
एक अकेली आत्मा, उसका हृदय प्रफुल्लित हो जाता है,
टिक-टिक करती घड़ी, उसका एकमात्र दोस्त,
उसके दिन डूबते सूरज की तरह मिश्रित होते हैं,
हवा पेड़ों के माध्यम से रहस्य फुसफुसाती है,
उसकी खिड़कियाँ एक परे की दुनिया देखती हैं,
वह शामिल होना चाहती है, हँसना और खेलना,
लेकिन हर गुज़रते दिन के साथ डर उसे रोक लेता है,
उसका दिल, एक बगीचा, एक बार जीवन से भरा हुआ,
अब बंजर, मुरझाया हुआ और ऊबड़-खाबड़,
यादें, ख़ुशी के पलों की,
उसे सताता है, एक शोकपूर्ण कविता की तरह,
परछाइयाँ नाचती हैं, दीवारों पर,
जैसे ही वह बैठती है, अपने अकेलेपन में,
उसकी आँखें, सितारों की तरह, बहुत चमकीली हैं,
फिर भी, इतना दूर, नज़रों से ओझल,
बाहर की दुनिया, एक रहस्य,
वह अन्वेषण करने, मुक्त होने के लिए उत्सुक है,
लेकिन अभी के लिए, वह फंसी हुई है, इस जगह पर,
एक अकेली लड़की, एक सुनसान जगह में,
लड़का पहले व्यक्ति को रस्ट्राचिवेट बिल्ली युवा आबनूस के रूप में लेता है
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