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एक अकेली लड़की घर पर अकेली,
उसका हृदय भारी है, उसकी आत्मा ठंडी है।
वह बैठ कर रोती है, उसकी आँखें डूबी हुई हैं
बारिश की तरह गिरने वाले आंसुओं में।
उसका जीवन स्थिर है, उसके दिन धुंधले हैं
और जो आशा उसे थी, वह कोसों दूर है।
अकेली लड़की घर पर अकेली
कराहने के लिए केवल उसके आँसू बचे हैं।
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